November 7, 2024

शारदा सिन्हा के निधन पर भावुक हुए लालू, कहा- उनका जाना बिहार के लिए भारी क्षति, अपने गीतों से वे सदा अमर रहेंगी

पटना। बिहार की स्वर कोकिला कहे जाने वाली शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार को दिल्ली एम्स में हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। इसी कड़ी में बुधवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा जी के निधन से बिहार को बहुत बड़ी क्षति पहुंची है। प्रदेश में इस समय छठ महापर्व का त्यौहार मनाया जा रहा है और छठ महापर्व में बिहार के तकरीबन हर घरों में उनकी आवाज सुनने को मिलती थी, हम खुद उनका बहुत सम्मान करते थे। हमें भी उनके द्वारा गाए गए लोकगीत सुनना बहुत पसंद था, शारदा सिन्हा जी के निधन पर हम अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि देते हैं। शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह बिहार के सांस्कृतिक धरोहर के लिए बहुत बड़ी क्षति है। लालू यादव ने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा आघात है, क्योंकि उनकी आवाज ने लोक संगीत को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया। लालू यादव ने कहा कि शारदा सिन्हा का नाम बिहार की लोक संस्कृति से हमेशा के लिए जुड़ गया है। लालू प्रसाद यादव ने शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके जैसा कलाकार बिहार क्या पूरे भारत में दोबारा नहीं आ सकता। जब तक छठ पर्व की महिमा रहेगी तब तक लोग उन्हें याद करते रहेंगे। अपने द्वारा गाए गए गीतों से वह अमर हो चुकी है और पूरा बिहार उन्हें आने वाले कई युगों तक याद करता रहेगा। उनके गीत, ख़ासकर छठ पर्व के अवसर पर गाए गए उनके गीत, न केवल बिहार बल्कि अन्य प्रदेशों में भी बड़ी श्रद्धा से सुने जाते हैं। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा का योगदान ऐसा था कि उन्होंने बिहार के पारंपरिक संगीत को देशभर में सम्मान दिलाया। लालू यादव ने अपने शोक संदेश में कहा कि उनकी अनुपस्थिति में छठ पर्व का आयोजन अधूरा लगेगा, क्योंकि उनकी आवाज से ही इस पर्व का एक खास रंग बनता था। शारदा सिन्हा की गायकी में जो सादगी और भाव थे, वह शायद ही किसी और में देखने को मिले। शारदा सिन्हा का संगीत उनके व्यक्तित्व की तरह ही पवित्र और सादा था। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। उनकी गायकी में गाँव, खेत-खलिहान, आँगन और संस्कृति की खुशबू आती थी। उनकी आवाज़ ने लोक संगीत को जीवंत बनाए रखा और उन्होंने अपने पूरे जीवन में बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखा। लालू यादव ने अपने शोक संदेश में कहा कि शारदा सिन्हा का निधन हमारे समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने जीवन के हर पल को संगीत और समाज की सेवा में समर्पित किया। उनकी आवाज़ में जो आत्मीयता थी, वह उनकी सच्ची भावनाओं को व्यक्त करती थी। लालू यादव ने कहा कि शारदा सिन्हा ने बिहार के लोक संगीत को देश-विदेश में पहचान दिलाई और हम सबके लिए गर्व का कारण बनीं। लालू यादव ने आगे कहा कि शारदा सिन्हा जैसी शख्सियतें सदियों में एक बार ही जन्म लेती हैं। उनके जाने से बिहार ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूँजती रहेगी और हमें उनकी याद दिलाती रहेगी। वह हमारी लोक संस्कृति की पहचान थीं और उनके जाने से बिहार के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक गहरी कमी हो गई है। शारदा सिन्हा का निधन बिहार की संस्कृति और कला के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके गीत, उनकी आवाज़ और उनका प्रेम हमेशा लोगों के दिलों में ज़िंदा रहेगा। उनके गीतों ने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश को लोक संगीत के रंग में रंग दिया। लालू यादव के शब्दों में, शारदा सिन्हा का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा और उनकी अनुपस्थिति में छठ पर्व का उल्लास अधूरा रहेगा।

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