31 को पटना में नई पार्टी का गठन करेंगे आरपीसी सिंह, कहा- अगर लोग कहेंगे तो चुनाव लडूंगा, काम भी करूंगा
पटना। आरसीपी सिंह, जो कभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, 31 अक्टूबर 2024 को पटना में एक नई पार्टी का गठन करने जा रहे हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर, पटना के होटल चाणक्य में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, वह अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे। हालांकि पार्टी का नाम अभी तक उजागर नहीं किया गया है, लेकिन उनके समर्थकों ने पटना की सड़कों पर उनके पोस्टर लगाकर इस संभावित नई राजनीतिक पहल की ओर इशारा किया है। आरसीपी सिंह ने कहा कि अगर जनता की मांग होगी तो वह चुनाव भी लड़ेंगे और सक्रिय रूप से काम भी करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके फैसले के पीछे बिहार के मौजूदा राजनीतिक हालात हैं, जो उन्हें और उनके समर्थकों को नई पार्टी बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कई लोग वर्तमान स्थिति से निराश हैं और उन्हें लगता है कि एक नए राजनीतिक विकल्प की आवश्यकता है। यह नई पार्टी उन्हीं उदास लोगों की आवाज बनेगी जो मानते हैं कि राज्य में कोई सार्थक बदलाव नहीं हो रहा है। यह कदम तब सामने आया जब आरसीपी सिंह ने भाजपा से भी दूरी बना ली है। उन्होंने 11 मई 2023 को भाजपा में शामिल होने के बावजूद पार्टी में उचित सम्मान और भूमिका नहीं मिलने की बात कही है। जदयू छोड़ने के बाद, जब वह भाजपा में शामिल हुए थे, तब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। हालांकि, भाजपा में सक्रिय भूमिका न मिलने के कारण वे हाशिए पर चले गए। अब वे नई पार्टी के जरिए फिर से बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के प्रयास में हैं। आरसीपी सिंह का नीतीश कुमार और बिहार की मौजूदा सरकार पर भी तीखा प्रहार जारी है। उन्होंने कहा कि बिहार में हालात 2005 से भी खराब हो गए हैं और नीतीश कुमार अब ‘C’ (क्राइम) को पसंद करते हैं, जबकि पहले वे क्राइम के विरोधी थे। उन्होंने नीतीश पर सत्ता के प्रति आसक्ति का भी आरोप लगाया और कहा कि कुर्सी के मोह में बिहार की जनता के हितों की अनदेखी हो रही है। उनके अनुसार, नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विकास की दौड़ में पीछे रह गया है, जबकि देश काफी आगे बढ़ चुका है।आरसीपी सिंह की नई पार्टी का गठन बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका यह राजनीतिक कदम बिहार में क्या असर डालता है, और क्या यह पार्टी राज्य के मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को बदल पाएगी।