पटना में आठ सूत्री मांगों को लेकर छात्र संघ ने निकाला राजभवन मार्च, पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रोका, खूब हुआ हंगामा
पटना। बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार को विभिन्न छात्र संगठनों ने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर राजभवन की ओर मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में सैकड़ों छात्रों ने हिस्सा लिया, जो सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की अपील कर रहे थे। मार्च का नेतृत्व कारगिल चौक से शुरू होकर जेपी गोलंबर तक किया गया, जहां पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगा दी।
छात्रों की आठ सूत्रीय मांगें
प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकार के सामने आठ प्रमुख मांगों को रखा। इनमें सबसे प्रमुख मांग चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में व्याप्त अराजकता को समाप्त करने की थी। छात्रों ने आरोप लगाया कि यह पाठ्यक्रम पूरी तरह से अव्यवस्थित है और सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए। इसके साथ ही विशेष परीक्षा आयोजित करने और छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने का भी प्रस्ताव छात्रों ने रखा। उनका कहना था कि विश्वविद्यालयों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि छात्रों को न्याय मिल सके। एक अन्य महत्वपूर्ण मांग थी कि राज्य सरकार द्वारा छात्राओं और अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों को स्नातकोत्तर (पीजी) स्तर तक निशुल्क शिक्षा प्रदान करने का आदेश दिया जाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि विश्वविद्यालय इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और इन छात्रों को निशुल्क शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। छात्रों की एक अन्य प्रमुख मांग थी कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में राजभवन कार्यालय खोला जाए और छात्र संघ के चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनावों में निजी कॉलेजों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि सभी छात्रों को उनके अधिकार मिल सकें। इसके अतिरिक्त, छात्रों ने मांग की कि राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जितने भी छात्रावास बंद पड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द चालू किया जाए। उनका कहना था कि छात्रावासों की कमी के कारण छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, सभी विश्वविद्यालयों में एक समान एकेडमिक कैलेंडर लागू करने और फी स्ट्रक्चर को भी एक समान करने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि विश्वविद्यालयों की डिग्रियां डिजी लॉकर पर उपलब्ध कराई जाएं ताकि छात्रों को आसानी हो सके।
पुलिस और छात्रों के बीच झड़प
जैसे ही प्रदर्शनकारी जेपी गोलंबर पहुंचे, पुलिस ने उन्हें वहां बैरिकेडिंग करके रोक दिया। पुलिस की इस कार्रवाई से छात्रों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था। इसके साथ ही वाटर कैनन और राइट कंट्रोल व्हीकल भी मौके पर मंगवाए गए थे, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। हालांकि, पुलिस की इस कार्रवाई के बावजूद छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे और आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। कई बार ऐसा लगा कि दोनों पक्षों के बीच झड़प हो जाएगी, लेकिन पुलिस ने संयम दिखाते हुए हल्का बल प्रयोग करके छात्रों को आगे बढ़ने से रोका।
हंगामे के बीच सरकार से अपील
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की। उनका कहना था कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आने वाले दिनों में और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे। छात्रों का यह भी कहना था कि वे शिक्षा के क्षेत्र में हो रही अनियमितताओं को लेकर लगातार आवाज उठाते रहेंगे। प्रदर्शन के बावजूद, छात्रों ने कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और उनका मकसद केवल अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाना था। वहीं, पुलिस का कहना था कि उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए और छात्रों को समझाने की कोशिश की। पटना में हुए इस हंगामे ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांगों को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और छात्रों की समस्याओं का समाधान कैसे होता है।