झारखंड की पूर्व सीएम मधु कोड़ा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, दोबारा चुनाव लड़ने की याचिका पर सुनवाई टली
नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को एक बार फिर से झटका लगा है, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी चुनाव लड़ने की याचिका पर सुनवाई टाल दी। मधु कोड़ा, जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी थी, ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार, और जस्टिस आर महादेवन की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी, लेकिन सुनवाई के लिए फाइल को देर से सर्कुलेट किए जाने के कारण कोर्ट ने इसे अगले दिन तक टाल दिया।
हाईकोर्ट का निर्णय और कोड़ा का चुनावी सपना
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा मधु कोड़ा की याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसमें कोड़ा ने अपने ऊपर लगे प्रतिबंध को हटाने और चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कोड़ा का उद्देश्य केवल चुनाव लड़ने की अनुमति प्राप्त करना है, और यह उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया कोड़ा इस मामले में दोषी प्रतीत होते हैं और निचली अदालत के निर्णय पर रोक लगाने का कोई ठोस आधार नहीं है। इस निर्णय से मधु कोड़ा के चुनावी सपनों को गहरा झटका लगा है। कोड़ा, जो झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं, राजनीतिक जीवन में फिर से सक्रिय होने के लिए चुनावी मैदान में उतरना चाहते थे। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले ने उनके रास्ते में बाधा उत्पन्न कर दी, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
कोयला घोटाले में दोषी करार
मधु कोड़ा पर कोयला घोटाले में गंभीर आरोप लगे हैं। इस घोटाले में उन्हें और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। निचली अदालत ने कोड़ा, झारखंड के पूर्व कोयला सचिव, और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव ए.के. बसु सहित कई अन्य लोगों को कोयला घोटाले में दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही, अदालत ने कोड़ा और उनके सहयोगियों पर भारी जुर्माना भी लगाया था। यह मामला देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, जिसमें कोड़ा पर अवैध रूप से कोयला खदानों के आवंटन और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। कोड़ा ने इन आरोपों से खुद को बचाने के लिए अदालत का सहारा लिया और चुनावी प्रतिबंध हटाने की मांग की। लेकिन हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि निचली अदालत के फैसले को पलटने का कोई ठोस आधार नहीं है और कोड़ा के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं जो उन्हें दोषी साबित करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई
हाईकोर्ट के फैसले से निराश होकर मधु कोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जहां उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिल जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई को अगले दिन तक के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने कहा कि फाइल को अभी तक देखा नहीं गया है, इसलिए सुनवाई को कल तक के लिए स्थगित किया जाता है। कोड़ा के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि उन्हें निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है, क्योंकि कोड़ा के राजनीतिक करियर पर इस फैसले का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए फाइल की समीक्षा की जरूरत बताई और मामले को कल तक के लिए टाल दिया।
निचली अदालत का फैसला और भविष्य
निचली अदालत के फैसले के अनुसार, मधु कोड़ा को तीन साल की सजा दी गई है, जिससे उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं खत्म होती दिख रही हैं। भारत के कानून के तहत, कोई भी व्यक्ति जो दो साल से अधिक की सजा काट रहा है, वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है। इस स्थिति में, कोड़ा की चुनावी आकांक्षाओं पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी कोड़ा की याचिका खारिज कर दी, तो उनके राजनीतिक करियर पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। उन्हें न केवल अपने चुनावी सपनों से हाथ धोना पड़ेगा, बल्कि उनकी राजनीतिक साख भी कमजोर हो सकती है। मधु कोड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से उनके भविष्य की राजनीति का रास्ता साफ होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, तो वे फिर से चुनाव लड़ने की स्थिति में आ सकते हैं। लेकिन यदि कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, तो कोड़ा के राजनीतिक जीवन पर गहरा असर पड़ेगा। कोड़ा के इस कानूनी संघर्ष से यह स्पष्ट है कि वह अपने राजनीतिक जीवन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोप और अदालत के कड़े फैसले उनके रास्ते में बड़ी बाधा बने हुए हैं।