January 30, 2025

भोजपुर में मूर्ति विसर्जन में दो पक्षों में रोड़ेबाजी, तीन पुलिसकर्मी ज़ख़्मी, मामला दर्ज

आरा। भोजपुर जिले के धोबहां थाना क्षेत्र के सलेमपुर बंगला में सोमवार देर रात मूर्ति विसर्जन के दौरान उपजे विवाद ने सांप्रदायिक और जातिगत तनाव को जन्म दे दिया। यह विवाद जाति सूचक गाना बजाने के कारण हुआ, जिसके परिणामस्वरूप दो गुटों के बीच जमकर रोड़ेबाजी हुई। इस घटना में तीन पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए, और पुलिस की एक प्राइवेट गाड़ी को भी नुकसान पहुँचा। मूर्ति विसर्जन बिहार के सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ पूजा समाप्त होने के बाद मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। आमतौर पर इस दौरान धार्मिक गाने बजाए जाते हैं, लेकिन सोमवार की रात इस परंपरा को जाति सूचक गानों ने प्रभावित किया। सलेमपुर बंगला में मूर्ति विसर्जन के समय कुछ लोगों ने जातिगत गाने बजाने शुरू कर दिए, जिससे वहां उपस्थित दूसरे पक्ष के लोग नाराज़ हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, मूर्ति विसर्जन के दौरान बजाए गए जाति सूचक गाने से माहौल गरमा गया। दूसरे पक्ष के लोगों ने गाने को तुरंत बंद करने की मांग की, लेकिन इससे पहले कि विवाद सुलझता, दोनों पक्षों के बीच बहस छिड़ गई। बहस जल्दी ही धक्का-मुक्की में बदल गई और फिर रोड़ेबाजी शुरू हो गई। पुलिसकर्मी जो वहाँ भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तैनात थे, उन्होंने स्थिति को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी निशाना बनाया गया। इसके परिणामस्वरूप तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में 55 वर्षीय होमगार्ड जवान सियाराम दुबे, 54 वर्षीय पुलिसकर्मी योगेंद्र सिंह और 24 वर्षीय सिपाही रोहित कुमार शामिल हैं। इन सभी को इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना की सूचना मिलते ही धोबहा थानाध्यक्ष संजीव कुमार अतिरिक्त पुलिस बल के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस ने तनावग्रस्त माहौल में संयम बरतते हुए पहले दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छह संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया। हालाँकि, पुलिस की ओर से अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। पुलिस द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई के बाद भी माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, और पुलिस को क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। मूर्ति विसर्जन के दौरान उत्पन्न हुए इस विवाद ने भोजपुर में शांति और सुरक्षा की स्थिति को चुनौती दी है। बिहार के कई क्षेत्रों में जातिगत तनाव और भेदभाव की घटनाएँ समय-समय पर सामने आती रहती हैं। भोजपुर भी इस जातिगत संरचना का एक हिस्सा है, जहाँ छोटी-छोटी घटनाएँ भी बड़े विवादों का रूप ले लेती हैं। जाति सूचक गानों को बजाना एक गहरी सामाजिक समस्या को उजागर करता है, जो कि समाज में जातिगत विभाजन को और बढ़ावा देता है। इस तरह के विवाद न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज में जातिगत ध्रुवीकरण को भी और गहरा करते हैं। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मूर्ति विसर्जन जैसे आयोजनों में पुलिस की मौजूदगी का मकसद शांति बनाए रखना होता है, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है, तब पुलिस को तुरंत और सख्त कार्रवाई करनी पड़ती है। इस मामले में भी पुलिस ने समय पर पहुँचकर स्थिति को काबू में किया, लेकिन जातिगत मुद्दों को हल करने के लिए प्रशासन को समाज में जागरूकता और एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। भविष्य में ऐसे किसी भी धार्मिक आयोजन के दौरान जातिगत या सांप्रदायिक मुद्दों को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आपसी समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि भोजपुर और अन्य हिस्सों में जातिगत विवाद अभी भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसे न केवल कानून के माध्यम से बल्कि सामाजिक बदलाव के जरिये भी हल करना आवश्यक है।

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