कॉलेज परिसर के बाहर तंबाकू से जुड़े उत्पाद बिके तो कम होगी विश्वविद्यालय की रेटिंग, यूजीसी ने जारी की कई गाइडलाइन
पटना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाना है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय परिसर के बाहर तंबाकू से जुड़े उत्पादों की बिक्री होती है, तो उस संस्थान की रेटिंग कम की जा सकती है। यूजीसी ने यह कदम शैक्षणिक संस्थानों में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने और छात्रों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उठाया है। यूजीसी ने कहा है कि तंबाकू से जुड़े उत्पादों जैसे सिगरेट, गुटखा, खैनी आदि की बिक्री को संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक विश्वविद्यालय और कॉलेज को नियमित निरीक्षण करना होगा और तंबाकू उत्पादों की बिक्री रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करना होगा। इस नियम का पालन न करने वाले शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग और मूल्यांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा भी प्रभावित होगी। इसके साथ ही, यूजीसी ने शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू के उपयोग के प्रति छात्रों और कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है। संस्थानों को “तंबाकू मुक्त परिसर” के साइनबोर्ड लगाना अनिवार्य होगा, ताकि परिसर में प्रवेश करते ही छात्रों और आगंतुकों को इस बात की जानकारी हो। तंबाकू से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान, वर्कशॉप और सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिससे छात्रों को इस घातक आदत से बचने के लिए प्रेरित किया जा सके। यूजीसी ने इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसके तहत छात्रों को तंबाकू के दुष्प्रभावों से अवगत कराने के लिए पाठ्यक्रम में भी विशेष सामग्री शामिल की जाएगी। इससे विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। तंबाकू उत्पादों के उपयोग से होने वाली बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग और श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को छात्रों के बीच फैलाने का प्रयास किया जाएगा। यूजीसी की इन गाइडलाइनों का उद्देश्य न केवल शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाना है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक संदेश देना भी है। शिक्षण संस्थानों को इस दिशा में नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि देशभर में एक स्वास्थ्यप्रद वातावरण का निर्माण हो सके। इसके अतिरिक्त, यूजीसी ने संस्थानों को निर्देशित किया है कि वे परिसर में धूम्रपान निषेध कानूनों का सख्ती से पालन करें और अगर कोई इन कानूनों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए। यूजीसी की यह पहल शैक्षणिक संस्थानों के स्वास्थ्य वातावरण को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम है। तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर नियंत्रण और जागरूकता अभियानों के माध्यम से छात्रों को तंबाकू से दूर रखने के प्रयासों से न केवल उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि यह संस्थानों की गुणवत्ता और रेटिंग को भी बेहतर बनाएगा। अतः, सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को इन दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा ताकि वे न केवल एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकें, बल्कि अपनी रैंकिंग और प्रतिष्ठा को भी बनाए रख सकें।