नीतीश कुमार को CM बनाने में थी Ex Mp डॉ जगदीश शर्मा की बड़ी भूमिका..कैसे बना..कैसे बिगड़ा.. आज अशोक चौधरी बेकार में..अब बदलेंगे समीकरण..
पटना।जहानाबाद में बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के द्वारा भूमिहार समाज पर की गई टिप्पणी के बाद जहानाबाद के पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा ने इस पूरे प्रकरण में मंत्री अशोक चौधरी को आधे हाथों लेते हुए उनका राजनीतिक कद का एहसास कर दिया है।बिहार के राजनीति में भूमिहार पॉलिटिक्स एक बार फिर से राजनीति की केंद्र बिंदु बन गई है। डॉ जगदीश शर्मा के सिंह गर्जना के अनुज ने मगध की राजनीति में एक बार फिर से नए समीकरण का सूत्रपात कर दिया है। मौजूदा प्रकरण से राजनीतिक माहौल गर्म आने के साथ-साथ कई पुराने राजनीतिक लिफाफे भी खुलने लगे हैं। राजनीति के जानकारी के बीच पुराने दौर की गुजरी राजनीति की चर्चाएं आरंभ हो चुकी है। जहां जदयू तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा तथा वर्तमान मंत्री अशोक चौधरी की भूमिकाओं पर खुलेआम मंतव्य प्रसारित हो रहा है। इस मामले में पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा के एक नजदीकी समर्थक ने बताया कि जब पहली बार वर्ष 2000 में बगैर बहुमत के बतौर नेता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन विधायक दल नीतीश कुमार ने बिहार में पहली बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया था।तब उन्हें इस कुर्सी पर बैठने में डॉ जगदीश शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।उस वक्त डॉ जगदीश शर्मा घोषी से निर्दलीय चुनाव जीते थे तथा तकरीबन दो दर्जन से अधिक विधायकों के निर्दलीय मोर्चा के अध्यक्ष थे।सभी निर्दलीय विधायक नीतीश कुमार के पक्ष में नहीं थेइसके बावजूद डॉ जगदीश शर्मा ने सभी विधायकों को उनके पक्ष में लाकर उन्हें समर्थन दिया।जिसके फलस्वरुप राजग विधायक दल का नीतीश कुमार को नेता मान लिया गया। उस वक्त सूरजभान सिंह,मुन्ना शुक्ला,राजन तिवारी समेत कई अन्य विधायक के रूप में चुनाव जीते थे तथा उस मोर्चा के सदस्य भी थे। उसे समय राजद सुप्रीमो लालू यादव ने जगदीश शर्मा को कई प्रकार से अपने पाले में करने का प्रयास भी किया था।छात्र जीवन की मित्रता के बावजूद जगदीश शर्मा ने जनादेश के विरोध नहीं जाने का फैसला लिया तथा लालू के जगह नीतीश कुमार को समर्थन दिया। यह बात अलग है कि बहुमत के भाव में नीतीश कुमार की सरकार नहीं टिकी इसके बावजूद 2005 के जनवरी चुनाव के उपरांत जब लोजपा को 29 सीटें आई थी। जगदीश शर्मा उस बार भी अपने विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीते थे।उस वक्त भी लोजपा के सभी 29 में से दो तिहाई विधायकों को नीतीश कुमार के खेमे में लाने में डॉ जगदीश शर्मा की बड़ी भूमिका थी।उस समय जदयू के सांसद तथा नीतीश कुमार के अत्यंत करीबी वर्तमान मुंगेर सांसद ललन सिंह डॉ जगदीश शर्मा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोजपा के विधायकों को अपने पाले में लाने में सफल हुए। हालांकि लोजपा में हुए टूट के लिए पार्टी के अंदरूनी राजनीति जिम्मेदार थी।उस चुनाव में बाहुबली विधायक मुन्ना शुक्ला के कई करीबी नेता लोजपा के टिकट पर चुनकर आए थे।जिन्होंने उस वक्त ललन सिंह एवं जगदीश शर्मा के कमिटमेंट पर नीतीश कुमार को समर्थन किया था।बाद में किसके साथ क्या हुआ यह सभी जानते हैं। मंत्रिमंडल के गठन में उस समय भी डॉ जगदीश शर्मा का नाम चारा घोटाले के मामले का उल्लेख करते हुए काट दिया गया था।वहीं मुन्ना शुक्ला को भी कमिटमेंट के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया। उनके स्थान पर नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इसके बावजूद डॉ जगदीश शर्मा जदयू के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नहीं गये।2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से पूर्व सांसद डॉ अरुण कुमार के चुनाव लड़ने के बावजूद राजद के सुरेंद्र यादव को परास्त कर जदयू के जनाधार को बिहार के राजनीति में मजबूती से साबित किया।इतना सब होने के बाद डॉ जगदीश शर्मा के द्वारा खाली किए गए घोसी विधानसभा सीट पर उनकी पत्नी को पार्टी ने टिकट नहीं दिया।तब 2009 के घोषी उपचुनाव में जगदीश शर्मा सत्तारूढ़ जदयू में रहते हुए अपनी ताकत का परिचय कराते हुए पूरे सरकारी तंत्र तथा बीजेपी,जदयू,राजद से लोहा लेते हुए अपनी पत्नी शांति शर्मा को निर्दलीय चुनाव जितवाया। इसके बावजूद जदयू में बने रहें तथा 2010 के चुनाव में उनके पुत्र राहुल कुमार ने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा जीता भी। 2013 में डॉ जगदीश शर्मा को चारा घोटाले के मामले में रांची के सीबीआई अदालत से सजा मिल गई।जिसकी वजह से उनकी सदस्यता चली गई। फिर भी 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने पुत्र को टिकट नहीं दिए जाने के बावजूद भी उन्होंने जदयू के प्रत्याशी अनिल शर्मा को सपोर्ट किया। 2015 में जीतन राम मांझी के साथ देने के मामले को लेकर राहुल कुमार का टिकट जदयू के द्वारा काट दिया गया।जिसके बाद वह हम के टिकट पर चुनाव लड़े तथा चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2019 के लोकसभा चुनाव में जब जहानाबाद सीट फंसती दिखाई दी।तो रांची में जेल में बंद डॉ जगदीश शर्मा की याद उन्हें आयी।तब उनके सबसे करीबी व्यक्ति के द्वारा डॉ जगदीश शर्मा तक सीएम नीतीश कुमार का संदेश पहुंचाया गया। चुनाव के आखिरी क्षणों में जगदीश शर्मा के द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बदौलत जदयू प्रत्याशी चंदेश्वर चंद्रवंशी बेहद मामूली मतों के अंतर से चुनाव जीत सके…क्रमशः पार्ट 2 में..