Exclusive-चाहा था रेल मगर हो गया खेल.. पीड़ा भी जाहिर करना मुश्किल..मगर है उदासी का आलम
पटना।नई दिल्ली में नए केंद्र सरकार का गठन हो गया। बिहार से कुल आठ सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य बने।जदयू के 12 सांसदों में से दो राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं रामनाथ ठाकुर केंद्र में मंत्री बने। ललन सिंह लोकसभा तथा रामनाथ ठाकुर राज्यसभा से सांसद हैं।बिहार में चर्चा थी कि लग्न सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल मंत्रालय मिलने जा रहा है। मगर इसके ठीक विपरीत उन्हें पंचायती राज तथा पशुपालन मंत्रालय दिया गया। हालांकि मंत्रालय के बंटवारे के पूर्व बिहार में ललन सिंह के सभी समर्थक यह तय मान बैठे थे कि उन्हें रेल मंत्रालय ही मिलने जा रहा है। उनके समर्थकों के द्वारा सोशल मीडिया पर इससे संबंधित पोस्ट भी शेयर किए जाने लगे थे।लेकिन जैसा की देश के क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक विशेषता है कि कोई भी क्षेत्रीय दल का प्रमुख अपने सहयोगी को केंद्र में बड़ा कमान देने से परहेज करता है। चाहे सहयोगी कितना भी विश्वस्त क्यों नहीं हो? प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि ‘चाहा था रेल लेकिन हो गया खेल’। पार्टी के अंदर खाने में ही इस खेल को लेकर सियासी चर्चा जारी है।पार्टी के एक कद्दावर नेता ने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की भी इच्छा थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक बड़ा मंत्रालय जरूर पार्टी के कोटे में आना चाहिए।वाजपेयी मंत्रिमंडल के दौरान जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं रेल मंत्री थे।इस दौरान बतौर राज्यसभा सांसद नीतीश कुमार के बेहद करीब रहने वाले ललन सिंह भी रेल मंत्रालय के कामकाज में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे। मंशा स्पष्ट थी कि केंद्र में रेल मंत्रालय पर दावा ठोंक देना है। पार्टी के सांसदों के गणना के मुताबिक केंद्र के समीकरण में भी स्थिति मजबूत थी।इसलिए इस दावे को दरकिनार किए जाने की आशंका भी कम थी। मगर और मौके पर प्रदेश के राजनीति में सीएम के सोच- विचार को प्रभावित रखने वाले विश्वस्त वजीर ने फिर से उनकी सोच बदल दी।समझा दिया गया कि इतना बड़ा कद मिल जाने के बाद कहीं पार्टी के अंदर पावर सेंटर को लेकर फिर से कन्फ्यूजन का दौर नहीं खड़ा हो जाए। खैर उसके बाद जो हुआ सब ने देखा किस प्रकार सिर्फ ललन सिंह ही नहीं बल्कि बिहार के किसी भी मंत्री को केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा मंत्रालय नहीं दिया गया। हालांकि बिहार के मंत्रियों को जो मंत्रालय मिले हैं।उसमें भी विकास से संबंधित कीर्तिमान खड़े करने लायक कार्य करने के बड़े स्कोप उपलब्ध हैं। बहरहाल जदयू के अंदर एक खास तबके में ललन सिंह को रेल मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर उदासी का आलम व्याप्त है।