कर्ज से देश का हाल बदहाल, केंद्र के पूंजीपति मित्र हो रहे मालामाल : राजीव रंजन
पटना। केंद्र सरकार पर देश को कर्ज में डुबो देने के आरोप लगाते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि कर्जा लेकर घी पीने की केंद्र सरकार की आदत ने देश की अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में धकेल दिया है। हालात ऐसे हो गये हैं कि आज देश का कर्ज GDP के बराबर हो गया है। यहां तक कि IMF भी इस विषय पर सरकार को बार-बार आगाह कर रही है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने आगे कहा कि देश के माथे पर लदी कर्ज की गठरी इतनी भारी हो गयी है कि पीएम नरेंद्र मोदी देश के इतिहास में सबसे अधिक कर्ज लेने वाले पीएम बन चुके हैं। आजादी के बाद से देश के 14 पीएम ने कुल मिलाकर मात्र 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ा लिया था। लेकिन मोदी सरकार ने सिर्फ पिछले 10 सालों में इसे लगभग 4 गुणा बढ़ाते हुए 205 लाख करोड़ कर्ज से अधिक कर दिया है। यानी आज देश में पैदा होने वाले बच्चे पर भी 1 करोड़ से अधिक कर्जा है। उन्होंने आगे कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की सरकार का कर्ज देश के बैंकों को एक डूम लूप में धकेल रहा है। डूम लूप यानी किसी देश की सरकार अपने बैंकों से कर्ज लेते-लेते डिफॉल्ट हो जाती है। बैंक भी डूबते हैं और सरकार भी। 1998 में रूस और 2001-02 में अर्जेटीना इसी तरहसे बरबाद हुए थे। उन्होंने आगे कहा कि देश को कर्ज के मकड़जाल में धकेलने के बाद भी केंद्र अपने पूंजीपति मित्रों का ख्याल रखना नहीं भूल रही। RTI के तहत मांगी गयी एक जानकारी के जवाब में RBI ने साफ़ कहा है कि सिर्फ पिछले 5 वर्षों में 10.57 लाख करोड़ के कर्ज माफ़ किये गये हैं। इसमें सिर्फ 2022-23 में ही 2.09 लाख करोड़ से अधिक का बैड लोन माफ़ कर दिया गया है। यह दिखाता है कि भाजपा के लिए देश से बढ़कर उसके पूंजीपति मित्रों का हित है।