February 4, 2025

हो जायें सावधान! बिहार में आदमी के बाद गायब हो गये 34 सरकारी दफ्तर

सरकार ने दिया आदेश-जल्दी ढूंढो कहां गये……
मामला सुपौल जिले की
पटना। अभी तक आपने सुना या जाना होगा कि आदमी या कोई वस्तु गायब होती है लेकिन अचरज करने के बात है कि बिहार के सुपौल जिले में 34 सरकारी कार्यालय धरातल से गायब हो चुके हैं लेकिन सरकारी बाबू जिनपर इन्हें धरातल पर उतारने की जिम्मेवारी है, वही वषों से बेखबर बन बैठे हैं। न तो उन्हें विभाग की चिंता है और न…..। मामला सुपौल जिले की ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यालय खोलने की है। इसमें सबसे खास बात यह मिली कि इन लापता कार्यालयों के लिये जिले के कोषागार से प्रत्येक माह लाखों रुपये की निकासी भी हो रही है। अब मामला उजागर होने के बाद सरकार इन कार्यालयों को खोजने में लग चुकी है और साथ में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की कवायद करने की तैयारी कर रही है। मालूम हो कि बिहार सरकार द्वारा एक संकल्प के माध्यम से 7 मार्च 2012 को निर्णय लेकर बिहार में कार्य बेहतरी के तहत नये कार्यालय खोलने की निर्णय ली गयी थी जिसके तहत जिले के तीन कार्यप्रमंडल,11 अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा खोलने की निर्णय विभाग के सचिव के द्वारा आदेश जारी की गयी थी। अब इन कार्यालयों को 1 अप्रैल 2012 से ही अस्तित्व में आकर सभी अभियंता को अपने अधीन कार्य संपादन करनी थी। उन्हें वेतन भी संबंधित इलाके के कोषागार से मिलनी थी लेकिन अधिकारियों ने इस आदेश का तोड़ निकालते हुए 3 कार्य प्रमंडल, वीरपुर, सुपौल व त्रिवेणीगंज में खोल दिये लेकिन 11 कार्य अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा सात वर्षों से लापता है। ज्ञात हो कि इस मामले का खुलासा आरटीआई के कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार जागरूकता अभियान से जुड़े अनिल कुमार सिंह नेसूचना के अधिकार से किया। वहीं जिन प्रखंडों में 23 प्रशाखा कार्यालय खुलना था उनमें सुपौल जिले के प्रखंड में- 3, किशनपुर प्रखंड में- 2, निर्मली प्रखंड में-1, मरौना प्रखंड में -2, बसंतपुर प्रखंड में-2, राघोपुर प्रखंड में- 2, प्रतापगंज प्रखंड में- 1,भपटियाही प्रखंड में-2, छातापुर प्रखंड में-3, त्रिवेणीगंज प्रखंड में -3 और पिपरा प्रखंड में -2 शामिल हैं। वहीं इसके आलोक में बताया गया कि बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा संकल्प संख्या-4303 में दिनांक 7 मार्च 2012 के द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग का पुनर्गठन एवं उसके अधीन कार्यरत कार्य अंचल, प्रमंडल,अवर प्रमंडल और प्रशाखा के बीच भौगोलिक रूप से कार्यक्षेत्र का बंटवारा करने की आदेश भी जारी की गयी थी और उस आदेश में यह स्पष्ट तौर पर उल्लेख की गयी है कि सभी नवसृजित कार्यालय 1 अप्रैल 2012 से अस्तित्व में आ जायेंगे और अपने कार्यक्षेत्र के अधीन सभी कार्यो का संपादन उनके द्वारा की जायेगी वहीं जारी संकल्प में जिले में तीन कार्यप्रमंडल,11 कार्य अवर प्रमंडल और 23 कार्य प्रशाखा खोलनी थी। वहीं दूसरी ओर आरटीआई कार्यकर्ता सह भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान सुपौल के अनिल कुमार सिंह द्वारा जिला लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर कर 7 वर्षों से धरातल से लापता कार्यालय को खोजने और इसमें संलिप्त दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करने से व जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा परिवाद दर्ज कर सुनवाई शुरू करने से संबंधित अधिकारियों में हड़कंप मच चुकी है।