November 7, 2024

औरंगाबाद में 518 लीटर विदेशी शराब बरामद, तस्कर गिरफ्तार, पुलिस ने छापेमारी कर पकड़ा

औरंगाबाद। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद, अवैध शराब के सेवन, तस्करी और निर्माण की घटनाएँ लगातार सामने आती रही हैं। राज्य में 2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी कानून के तहत किसी भी प्रकार की शराब का सेवन, बिक्री, परिवहन, या निर्माण गैरकानूनी है। इसके बावजूद तस्करों ने विभिन्न माध्यमों से शराब की तस्करी को जारी रखा है। पुलिस इस चुनौती से निपटने के लिए विशेष छापेमारी अभियान चला रही है। हाल ही में, औरंगाबाद जिले में ढिबरा थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 518 लीटर विदेशी शराब बरामद की है और कई तस्करों को गिरफ्तार किया है। यह घटना औरंगाबाद जिले के ढिबरा थाना क्षेत्र की है। पुलिस ने विशेष अभियान के तहत बड़वासोई स्कूल के पास एक कार से 518 लीटर विदेशी शराब बरामद की। पुलिस ने कार में मौजूद शराब तस्कर जयप्रकाश कुमार को गिरफ्तार किया है, जो ढिबरा थाना क्षेत्र के वारांडा गांव का निवासी बताया जा रहा है। इसके अलावा, मदनपुर थाना की पुलिस ने भी इस अभियान के दौरान रानीडीह गांव से 60 लीटर देसी महुआ शराब बरामद की है, साथ ही 5000 लीटर जावा महुआ (कच्ची शराब का मिश्रण) को नष्ट कर दिया गया। रफीगंज के भादवा क्षेत्र से 22 लीटर और फेसर से 2 लीटर देसी महुआ शराब भी पुलिस ने बरामद की। औरंगाबाद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंबरीश राहुल ने बताया कि जिले में अवैध शराब के विरुद्ध एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य जिले से अवैध शराब के उत्पादन, भंडारण, वितरण और सेवन को पूरी तरह समाप्त करना है। एसपी के अनुसार, इस अभियान के तहत अब तक 84 लीटर देसी महुआ शराब और 518 लीटर विदेशी शराब बरामद की गई है, साथ ही एक कार भी जब्त की गई है। जब्त की गई शराब की कुल कीमत लगभग 5 लाख रुपये आंकी गई है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी तस्करी, अवैध निर्माण, और सेवन की घटनाएँ रोकने में पूर्ण सफलता नहीं मिल पाई है। बिहार सरकार का यह कानून राज्य में अपराधों की संख्या घटाने और समाज में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया था। हालांकि, कई लोग इसे अवैध माध्यमों से प्राप्त कर राज्य की कानून व्यवस्था को चुनौती देते आ रहे हैं। पुलिस प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि शराब माफिया और तस्कर कई बार अवैध गतिविधियों के लिए नये-नये तरीके अपनाते हैं। इस परिस्थिति में पुलिस का विशेष छापेमारी अभियान जरूरी हो जाता है। पुलिस विभाग द्वारा अवैध शराब के विरुद्ध चलाए जा रहे इस तरह के विशेष अभियान सराहनीय हैं। औरंगाबाद में चल रही इस कार्रवाई से तस्करों में भय उत्पन्न हुआ है। पुलिस के इन अभियानों के माध्यम से अवैध शराब के सेवन और तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि पुलिस अवैध शराब के कारोबार को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। हालांकि, इस अभियान में कई चुनौतियाँ भी हैं। बिहार में अवैध शराब के स्रोत बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं। तस्कर विभिन्न इलाकों से राज्य में शराब की तस्करी करते हैं और इसे आम नागरिकों तक पहुँचाने के लिए नए रास्ते खोजते हैं। कई बार ग्रामीण इलाकों में छुपी हुई भट्टियाँ बनाई जाती हैं जहाँ देसी शराब का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सीमावर्ती क्षेत्रों से भी शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। ऐसी स्थिति में, पुलिस को तस्करों के साथ-साथ अवैध शराब बनाने वाले गुप्त ठिकानों का भी पता लगाना पड़ता है। पुलिस अधीक्षक अंबरीश राहुल द्वारा दिए गए बयान से यह स्पष्ट है कि अवैध शराब के खिलाफ इस तरह के छापेमारी अभियान भविष्य में भी जारी रहेंगे। पुलिस का उद्देश्य समाज से शराब के नशे को पूरी तरह से समाप्त करना है और इसके लिए व्यापक रणनीति अपनाई जा रही है। राज्य में नशाबंदी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रशासन को और अधिक सख्ती से कार्रवाई करनी होगी। इसमें स्थानीय लोगों की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि वे तस्करों की गतिविधियों की जानकारी प्रशासन तक पहुँचाएंगे, तो इस अभियान को और अधिक मजबूती मिलेगी। कुल मिलाकर, यह घटना औरंगाबाद पुलिस द्वारा किए जा रहे उन निरंतर प्रयासों का हिस्सा है, जिनके माध्यम से बिहार में शराबबंदी कानून का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। पुलिस का यह कदम अवैध शराब के कारोबार को रोकने में एक मजबूत संदेश देता है और यह उम्मीद की जाती है कि भविष्य में इस तरह के अभियान और भी प्रभावी होंगे।

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