प्रदेश में प्राइवेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन फीस में 25 फ़ीसदी की छूट, छात्रों को मिलेगी और कई सुविधाएं
पटना। बिहार सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई को प्रोत्साहित करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब राज्य के निजी विश्वविद्यालयों में नामांकन लेने वाले 25% छात्रों को प्रवेश शुल्क में छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अतिपिछड़ा वर्ग, महिलाएं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए उपलब्ध होगी। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने इस पहल की घोषणा करते हुए निजी विश्वविद्यालयों को यह निर्देश दिया है कि वे इस प्रावधान को सख्ती से लागू करें और छात्रों को बेहतर शैक्षिक अनुभव प्रदान करें।
छूट की संरचना, तीन स्तरों पर लाभ
शुल्क में छूट देने के लिए तीन स्तरीय योजना बनाई गई है, जिसके तहत 25% छात्रों को विभिन्न स्तरों पर छूट मिलेगी। इसमें वन-फिफ्थ (1/5) छात्रों को शत-प्रतिशत शुल्क में छूट मिलेगी, टू-फिफ्थ (2/5) छात्रों को 50% की छूट और बाकी बचे टू-फिफ्थ (2/5) छात्रों को 25% की छूट दी जाएगी। यह योजना न केवल छात्रों के वित्तीय बोझ को कम करेगी, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा की ओर प्रोत्साहित भी करेगी। यह कदम उन छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने निजी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि यह प्रावधान लागू हो और इसका लाभ वंचित वर्गों के छात्रों तक पहुंचे।
शैक्षिक गुणवत्ता और नवाचार पर जोर
बैठक में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने निजी विश्वविद्यालयों को न केवल छूट के प्रविधान को लागू करने पर बल दिया, बल्कि यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी शैक्षिक गुणवत्ता में लगातार सुधार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे नवीनतम शैक्षिक नवाचारों को अपनाकर खुद को एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करना चाहिए। इस तरह, बिहार के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकेंगे और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी पहचान बना सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने निजी विश्वविद्यालयों को विशेष रूप से यह निर्देश दिया कि वे अपने पाठ्यक्रम की सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान दें और इसे उद्योग की आवश्यकताओं के साथ जोड़ें, ताकि छात्रों को स्नातक होने के बाद बेहतर प्लेसमेंट के अवसर मिल सकें। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और कौशल भी प्राप्त हो, जो उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ावा दे सके।
नेशनल काउंसिल ऑफ असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन से मान्यता प्राप्त करने का निर्देश
शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को नेशनल काउंसिल ऑफ असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन तथा अन्य संबंधित नियामक निकायों से प्रत्यायन और मान्यता प्राप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए। यह मान्यता न केवल विश्वविद्यालय की साख को बढ़ाएगी, बल्कि छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगी। इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होगी, जिससे और अधिक छात्र इन संस्थानों में दाखिला लेने के लिए प्रेरित होंगे।
डिजिटल पहल और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम
डिजिटल युग को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों को “नैड” (डायनेमिक वेबसाइट) पर छात्रों के रिजल्ट अपलोड करने और “समर्थ-पोर्टल” का उपयोग करने का निर्देश दिया है। यह कदम विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता और कुशलता लाने की दिशा में उठाया गया है। इसके अलावा, *स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना* के प्रचार पर जोर दिया गया है, ताकि छात्र अपनी उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकें। यह योजना छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ऋण लेने और अपनी पढ़ाई पूरी करने का अवसर देती है। निजी विश्वविद्यालयों को इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए भी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक छात्र इसका लाभ उठा सकें। बिहार सरकार द्वारा निजी विश्वविद्यालयों में शुल्क छूट के प्रावधान से न केवल छात्रों को वित्तीय सहायता मिलेगी, बल्कि उच्च शिक्षा की दिशा में उनकी राह भी आसान होगी। यह कदम सरकार की शिक्षा नीति में सुधार लाने और समाज के वंचित वर्गों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के निर्देशों के तहत निजी विश्वविद्यालयों को अपनी शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार करने, उद्योग से जुड़ाव बढ़ाने और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया है। यह पहल न केवल छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी, बल्कि बिहार के शिक्षा क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगी।