लालू यादव दिल्ली एम्स में भर्ती, राजद कार्यालय में कर्पूरी जयंती पर नृत्य का कार्यक्रम, हम-जदयू ने किया तीखा सवाल
पटना। एक ओर राजद सुप्रीमो लालू यादव को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है। वहीं दूसरी ओर राजद कार्यालय में कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिस पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी पार्टी जदयू और हम (सेकुलर) ने राजद कार्यालय में हुए नृत्य कार्यक्रम पर निशाना साधा है। वहीं राजद ने पलटवार करते हुए कहा है कि अरे ये नाच है क्या?
@laluprasadrjd जी का स्वास्थ्य ख़राब हुआ तो उनके बेटे @TejYadav14 को मंच पर जगह तक नहीं दी गई यह @RJDforIndia का आंतरिक मामला हो सकता है,
पर लालू जी जैसे जन नेता के बीमार होने के बावजूद उनके पार्टी द्वारा इस तरह का नाच/गाने का कार्यक्रम कराना गंदे मानसिकता को दर्शाता है।
शर्मनाक pic.twitter.com/6g9yZNrPlz— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) January 24, 2021
क्या है मामला
आज बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर कई राजनीतिक दलों द्वारा पार्टी कार्यालय में जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में राजद ने भी कर्पूरी जयंती का आयोजन किया था। इसमें राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह स्वयं मौजूद थे। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में एक नृत्य का आयोजन किया गया।
जीतन राम मांझी ने किया अटैक
इस पर बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने हमला बोलते हुए ट्वीट कर लिखा, ‘लालू यादव जी का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उनके बेटे तेजप्रताप को मंच पर जगह तक नहीं दी गई यह राजद का आंतरिक मामला हो सकता है, पर लालू जी जैसे जन नेता के बीमार होने के बावजूद उनके पार्टी द्वारा इस तरह का नाच-गाने का कार्यक्रम कराना गंदे मानसिकता को दर्शार्ता है शर्मनाक.’
जदयू ने किया तीखा हमला
वहीं जेडीयू नेता अजय आलोक ने लिखा, ‘ये लोग लालू जी के बीमारी के गम में नाच रहे हैं या खुशी में? स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर से तो लालू जी को कभी कोई मतलब नहीं रहा वो तो लालू जी की राह का रोड़ा थे तो अब लालू जी की पार्टी राजद जयंती क्या खाक मनाएगी, लेकिन जयंती के नाम पे नाच! नया ट्रेंड हैं भाई।’
राजद ने किया पलटवार
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय मिश्रा का कहना है कि अरे ये नाच है क्या? उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर के नाम पर सिर्फ अपनी राजनीतिक चमकानेवाले उनकी जयंती का आयोजन करते हैं। राजद अध्यक्ष लालू यादव ने तो उनकी विचारधारा को आजीवन माना और उसी अनुरूप राजनीति की। अब तेजस्वी भी ऐसा कर रहे हैं।