लालू को जेल से फिलहाल बाहर आने पर संशय, जमानत पर अगली सुनवाई 11 दिसम्बर को
CENTRAL DESK : जेल से बाहर आने के लिए लालू को अभी और इंतजार करना होगा। उनके जमानत को लेकर संशय बरकरार है। चारा घोटाले के चार मामलों में से एक दुमका कोषागार मामले में राजद सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। बता दें इस मामले में लालू को 14 वर्ष तक की कैद की सजा सुनाई गयी थी और इस समय उनका रांची स्थित रिम्स में इलाज चल रहा है।
लालू के स्थानीय अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट में चारा घोटाले के दुमका कोषागार से गबन से जुड़े मामले में लालू की जमानत याचिका पर अब 11 दिसंबर को आगे की सुनवाई होगी। लालू की ओर से दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने लालू प्रसाद की न्यायिक हिरासत में 42 माह, 28 दिनों की हिरासत की अवधि पूरी होने की बात सिद्ध (कस्टडी प्रूफ) करने के लिए समय मांगा, जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक स्थगित कर दी।
इससे पूर्व न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ के समक्ष सीबीआई ने दावा किया कि अन्य मामलों की न्यायिक हिरासत को जोड़ लेने पर भी लालू ने दुमका मामले में अभी सिर्फ 34 माह ही न्यायिक हिरासत में बिताये हैं, जबकि सिब्बल ने दावा किया कि लालू ने इस मामले में 42 माह, 28 दिन न्यायिक हिरासत में पूरे कर लिये हैं। सीबीआई ने कहा कि वैसे तो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 427 के तहत निचली अदालत द्वारा अलग से उल्लेख न करने की स्थिति में लालू की सभी मामलों में सजाएं एक के बाद एक चलनी चाहिए और उस लिहाज से दुमका मामले में अब तक लालू ने न्यायिक हिरासत में एक दिन भी नहीं बिताया है।
सीबीआई ने दलील दी कि लालू को दुमका मामले में भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत सात वर्ष कैद एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी सात वर्ष कैद की सजा सुनायी गयी है, जिसे मिलाकर उनकी इस मामले में कुल सजा 14 वर्ष की हो जाती है। अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा उठाये गये इस पक्ष पर अंतिम सुनवाई के दौरान विचार किया जायेगा। इससे पूर्व इस मामले में 24 नवंबर को दाखिल अपने जवाब में सीबीआई ने दावा किया था कि वास्तव में लालू प्रसाद ने दुमका कोषागार से गबन के मामले में अब तक एक दिन की भी सजा नहीं काटी है, लिहाजा उन्हें इस मामले में अभी जमानत देने का कोई भी पुख्ता आधार नहीं बनता है।