भागलपुर : अस्पतालों में इलाज हुआ दुश्वार, मरीजों को मिल रही फटकार
भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। सदर अस्पताल हो या जेएलएनएमसीएच, दोनों ही अस्पतालों के रोगी को इलाज कराने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है। सदर अस्पताल में तो डॉक्टर मरीज को देखना ही नहीं चाहते हैं, वह मरीज को फटकार कर इस तरह भगाते हैं, जैसे कोई सेठ-साहूकार भीख मांगने वालों को अपने दरवाजे से भगा दिया करते हैं। इनमें से यदि कोई डॉक्टर मरीज देख भी रहा है, तो मरीज की बीमारी वहां मौजूद गार्ड पूछ रहे हैं और डॉक्टर केवल दवा लिख रहा है, वह भी कम से कम छह फीट की दूरी बनाकर।
आउटडोर विभाग में कई मरीज इलाज करवाने के लिए लाइन में लगे थे। करीब 11 बजे डॉक्टर आए। सुरक्षा गार्ड ने मरीजों का रजिस्ट्रेशन पेपर ले जाकर डॉक्टर की टेबल पर रख दिया। इसके बाद गार्ड मरीजों से बीमारी के बारे में पूछते हैं। डॉक्टर दवा लिखकर कागज गार्ड को थमा देते हैं। डॉक्टर ने इसी तरह सभी मरीजों को देखा। आला लगाना तो दूर डॉक्टर ने किसी मरीज से बीमारी के बारे में पूछा तक नहीं।
फोन किया और हो गई जिम्मेवारी पूरी
नशा मुक्ति केंद्र में कोरोना संदिग्धों के सैंपल लिए जाते हैं। स्थिति यह है कि वहां के कर्मचारी भी सिर्फ खानापूर्ति भर ही कर रहे हैं। एक टेक्नीशियन को यह जानकारी देने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है कि जिस परिवार के सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुए हैं, उसके घर के अन्य सदस्यों को फोन कर सैंपल देने के लिए अस्पताल बुलाएं। टेक्नीशियन फोन तो करता है, लेकिन परिवार के सदस्यों को सैंपल देने कब आना है, इसकी सूचना नहीं दी जाती। ऐसे कई सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ. एके मंडल ने कहा कि प्रतिदिन एक सौ सैंपल लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन एक सौ से ज्यादा सैंपल लिए जाते हैं।
कोरोना मरीजों का आरोप, नहीं आते हैं डॉक्टर
मायागंज अस्पताल के आइसोलेशन और गायनी आइसीयू में भर्ती कोरोना मरीजों की शिकायत रहती है कि डॉक्टर यहां नहीं आते। वार्ड की सफाई नहीं होती है और भोजन भी समय पर नहीं मिलता है। अगर किसी मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, तो नर्स के जरिए ही व्यवस्था की जाती है। समय पर इलाज नहीं होने की वजह से भी कई कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। मायागंज अस्पताल में कोरोना से कई ऐसे मरीजों की भी मौत हुई है, जिन्हें भर्ती करने के लिए परिजनों के पसीने छूट गए हैं। एक-दो घंटा आइसोलेशन की चौखट पर खड़ा रहने के बाद किसी एक मरीज को भर्ती किया गया तो ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाए। आॅक्सीजन खत्म होने के बाद मरीज की सांस तेज चलने लगती है और उनकी मौत हो जाती है।
विटामिन सी दवा की हो रही कालाबाजारी
सूत्रों के अनुसार कोरोना की आड़ में दवा की कालाबाजारी भी होने लगी है, खासकर विटामिन सी की। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर विटामिन सी के अलावा कई दवा खाने की सलाह दे रहे हैं। इसका फायदा थोक विक्रेता उठा रहे हैं। एक दवा दुकानदार ने बताया कि पहले थोक विक्रेता कहते हैं कि दवा नहीं है। आरजू-मिन्नतें करने पर दवा की कीमत ज्यादा वसूल रहे हैं। ऐसे कई दवा दुकानदारों ने शिकायत की है। वहीं जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम कोठरीवाल ने कहा कि इस तरह की कोई भी दवा दुकानदार ने शिकायत नहीं की है। शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।