बैंको के आगे सोशल डिस्टेंस का नहीं रह गया कोई मतलब यहां
फतुहा। कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु सरकार के द्वारा बैंको को मिले निर्देश के बावजूद भी सोशल डिस्टेंस का कोई मतलब नहीं रह गया है। कोरोना चेन को तोड़ने के लिए सरकार के द्वारा बैंक के आगे भीड़ लगने के बाद कई दिशा-निर्देश दिए गए। बेरिकेडिंग लगाने, बेरिकेडिंग के उपर शेड लगाने, सोशल डिस्टेंस के लिए घेरा लगाने तथा टोकन विधि से पैसे की भुगतान करने जैसे निर्देश जारी किए गए थे। भीड़ ज्यादा होने पर स्थानीय पुलिस प्रशासन से सहयोग लेने का भी निर्देश जारी किए गए थे। जहां तक फतुहा का सवाल है तो टोकन विधि से सभी बैंक भुगतान कर रहे हैं लेकिन कुछ ही बैंकों ने शेड व बेरिकेडिंग का प्रयोग किया है। बैंक के भीतर टोकन विधि अपना कर व सोशल डिस्टेंस अपना कर भुगतान किए जा रहे हैं लेकिन बाहर ग्राहक अपनी बारी को पाने के लिए सारे विधि व्यवस्था को फेल कर आपाधापी मचाए हुए हैं। यों कहा जाए कि बैंकों के तरफ से लाख उपाए किए जाने के बाद भी ग्राहकों के बीच सोशल डिस्टेंस का कोई मतलब नहीं रह गया है। खासकर ग्रामीण महिलाओं में। थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि अफवाह के कारण खाते से पैसे निकालने के लिए ग्रामीण महिलाओं की भीड़ ज्यादा लग रही है। पुलिस लगातार गश्ती करती है, लेकिन ग्रामीण महिलाएं अपने भुगतान पाने के आगे सारे नियम को फेल कर देती हैं।