नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां सिर्फ संसद के पास: रविशंकर
CENTRAL DESK : केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां सिर्फ संसद के पास है और केरल विधानसभा सहित किसी राज्य विधानसभा को यह अधिकार प्राप्त नहीं है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम रद्द करने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव केरल विधानसभा द्वारा पारित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद उनका यह बयान सामने आया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, यह सिर्फ संसद है, जिसे नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां प्राप्त हैं, केरल विधानसभा सहित किसी (अन्य) विधानसभा को नहीं। प्रसाद ने कहा कि यह अधिनियम भारतीय नागरिकों से संबद्ध नहीं है और इस कारण यह नागरिकता ना तो सृजित करता है, ना ही छीनता है। उन्होंने यह याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमश: युगांडा के अल्पसंख्यकों और श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता मुहैया करायी थी। प्रसाद ने हैरानी जताई कि यदि कांग्रेस ऐसा करती है तो यह ठीक और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह यही चीज करते हैं तो यह एक परेशानी कैसे है।
उन्होंने सीएए का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि यह दोहरा मानदंड और निकृष्ट तरह का पाखंड है। गौरतलब है सीएए के खिलाफ पिछले कुछ हफ्तों के दौरान देश भर में प्रदर्शन हुए हैं। मंत्री ने कहा, सीएए किसी भारतीय नागरिक से संबद्ध नहीं है। यह भारतीयों की नागरिकता न तो सृजित करता है, ना ही इसे छीनता है। यह धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों (तीन देशों से आए) पर सिर्फ लागू होता है। उन्होंने कहा सीएए बिल्कुल ही संवैधानिक और कानूनी है। इसके खिलाफ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा काफी सारा दुष्प्रचार किया जा रहा है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर उन्होंने कहा कि यह भारत के सामान्य निवासियों के बारे में सूचनाओं का एक व्यापक संग्रह है और इसका नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है। यह (एनपीआर) किसी गांव या शहर के सामान्य भारतीय निवासियों के बारे में है और इसका नागरिकों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या रजिस्टर के डेटा का उपयोग केंद्र एवं राज्य सरकारें विकास और नीति निर्माण प्रक्रियाओं के लिए करती हैं।