देश में कंपनी राज स्थापित करना चाहती केंद्र सरकार, कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करे सरकार
फुलवारी शरीफ। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ रविवार को फुलवारी शरीफ के पेठिया बाजार पर आल इंडिया पीपल्स फोरम (एआइपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम “किसानों के साथ हम पटना के लोग” में 6वेें दिन प्रबुद्ध नागरिक समाज के अनेक लोग जुटे और तीन कृषि कानूनों के जनविरोधी परिणामों से लोगों को अवगत कराते हुए किसान आंदोलन के साथ एकजुट होने का आह्वान किया। किसानों के साथ ‘हम पटना के लोग’ नामक नागरिक अभियान पटना के अलग-अलग इलाकों में गणतंत्र दिवस तक चलेगा। इसमें सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि-साहित्यकार, प्राध्यापक-चिकित्सक, कवि, गायक, रंगकर्मी, युवा-मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग ले रहे हैं। गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक व वक्तव्यों से किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य वक्ता फुलवारी शरीफ विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि मोदी सरकार आम-अवाम की थाली से दाना-पानी छीनकर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों के लिए देश में कंपनी राज स्थापित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी देश से लोकतंत्र खत्म कर लोगों को दाने-दाने का मोहताज बनाने की तैयारी में जुटी है, जिसके खिलाफ किसान आज सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। विधायक ने लोगों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील की।
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक, अर्थशास्त्री प्रो. डी.एम. दिवाकर ने तीन कृषि कानून के बारे में लोगों को विस्तार से बताते हुए कहा कि पूंजीपतियों के पक्ष में बनाए गए ये कानून जिस तरह से संसद से पारित किए गए वह जम्हूरियत के खिलाफ है। किसान सिर्फ खेती-किसानी बचाने की नहीं, बल्कि जम्हूरियत बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस दौरान युवा कवि अंचित ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह की कविता के साथ स्वरचित कविता ‘किसान आंदोलन के साथ’ का पाठ करते हुए आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए नागरिक अभियान के संयोजक एआइपीएफ से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता गालिब ने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि दो महीनों से भीषण ठंड में किसान सड़कों पर हैं और 150 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। यह मौत नहीं, मोदी सरकार द्वारा की गई सांस्थानिक हत्या है। लिहाजा व्यापक समाज को इस आंदोलन से जोड़ना हम सबकी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। इसी मकसद से यह अभियान चलाया जा रहा है।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव, उमेश सिंह, गुरुदेव दास, जितेंद्र कुमार, अनवर हुसैन, साधु शरण, अफशां जबीं समेत नागरिक समाज के दर्जनों लोग मौजूद थे।