February 7, 2025

खत्म हुआ वैवाहिक लग्न, चातुर्मास में नहीं होंगे शुभ मांगलिक कार्य

नवंबर में 02 व दिसम्बर में 8 विवाह मुहूर्त, मलमास होने से होगा पंचमास


पटना। शादी-विवाह की शहनाईयां बजने के बाद चातुर्मास का शुभारंभ एक जुलाई को हरिशयन एकादशी के बाद से हो जायेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान चार माह तक भगवान विष्णु शयन करने हेतु क्षीर सागर में चले जाते हैं। इस अवधि में शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ, नामकरण और दीक्षा संस्कार वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान अधिक होते हैं। चातुर्मास में सनातन धर्मावलंबियों के लिये इन्ही चार माह में दशहरा, तीज, रक्षाबंधन, छठ पूजा आदि पर्व त्योहार होते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि सनातन धर्मावलंबियों के शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त 17 जून तक ही है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि 1 जुलाई से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानि 25 नवंबर के समयावधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। इस वर्ष अधिक मास होने से यह पंचमास हो गया है। आश्विन मास दो होने से अधिक मास बना है।
भगवान विष्णु पाताल लोक में करते हैं निवास
ज्योतिषी झा के अनुसार चातुर्मास के दौरान साधु-संत, महात्मा एक जगह से दूसरे जगह की यात्रा नहीं करते हैं। विष्णु पुराण के मुताबिक, इन चार माह में भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवास करते हैं। चातुर्मास के देवता व संचालन कर्ता भगवान भोलेनाथ होते हैं। वृहत संहिता के अनुसार सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के साथ चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। भगवान राम ने भी रावण वध के पूर्व चातुर्मास में एकांत सेवन और धर्म का जागरण किया था।
शुभ मुहूर्त के लिए ये है जरूरी
शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है। वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र कि उपस्थिति अनिवार्य है क सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है क
इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त (बनारसी पंचांग)
नवंबर: 25, 30
दिसंबर: 1, 2, 6, 7, 8, 9, 11, 13
(मिथिला पंचांग)
दिसंबर : 6,7,10,11,14

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