कोरोना संकट पर पीएम मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन: 22 मार्च को देशभर में लगाएं जनता कर्फ्यू, आप मुझे एक हफ्ते दीजिए
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CENTRAL DESK : पूरी दुनिया कोरोना वायरस से डटकर लड़ रहा है। इस संकट से उबरने के लिए भारत सरकार समेत तमाम राज्य सरकारें पूरी तरह से मुस्तैद है। कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम राष्ट्र को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया महामारी की चपेट में है। मुझे देशवासियों से एक हफ्ते का वक्त चाहिए। हम कोरोना से बच गए, ये सोचना अभी ठीक नहीं है। हमें बचाव के लिए खुद संयम का संकल्प लेना होगा। पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक देशभर में जनता कर्फ्यू लगाएं, लोगों को इसके बारे में जागरूक करें। इसके अलावा जरूरी न हो तो बाकी समय में भी घरों से न निकलें। 60-65 साल के बुजुर्ग भी कुछ हफ्ते आइसोलेट रहें।
पीएम मोदी ने संबोधन की शुरूआत करते हुए कहा, पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है। आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है। इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर की पूरी मानव जाति को ही संकट में डाल दिया है। कोरोना की इस बीमारी से पिछले दो महीने से हम निरंतर दुनियाभर से आ रही चिंताजनकर खबरें देख रहे हैं, सुन रहे हैं। इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है। सभी देशवासियों ने आवश्यक सावधानियां बरतने का भरसक प्रयास भी किया है, लेकिन बीते कुछ दिनों से एक ऐसा माहौल बन गया है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं।
आप मुझे एक हफ्ते दीजिए
भले ऐसा लग रहा है कि सब ठीक है। लेकिन कोराना से निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना व सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। आपसे मैंने जब भी जो भी मांगा है, मुझे कभी भी देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हम सब मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं और सफल भी हुए हैं। आज मैं 130 करोड़ देशवासियों से कुछ मांगने आया हूं। मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए। आपका आने वाला कुछ समय चाहिए। अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। दुनिया के जिन देशों में कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है, वहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है। इन देशों में शुरूआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है। इन देशों में कोरोना से संक्रमित देशों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार स्थिति पर इस वैश्विक महामारी के फैलावे के ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने आवश्यक निर्णय भी किए और अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला है और उसमें नागरिकों की भूमिका बहुत अहम रही है। पीएम मोदी ने कहा कि इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है। पहला- संकल्प, दूसरा- संयम। आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते कर्तव्य का पालन करेंगे। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।
हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना जरूरी है
इस तरह की वैश्विक महामारी में एक ही मंत्र काम करता है। हम स्वस्थ, तो जगत स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है, तब हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना पहली आवश्यकता है। इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए दूसरी अनिवार्यता है संयम। और संयम का तरीका क्या है? भीड़ से बचना, घर से बाहर निकलने से बचना, आजकल जिसे सोशल डिस्टेंसिंग कहा जा रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में सोशल डिस्टेंसिंग ज्यादा आवश्यक और कारगर है। हमारा संकल्प और संयम इस वैश्विक महामारी को कम करने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है। अगर आप को लगता है कि आप ठीक हैं आपको कुछ नहीं होगा। आप ऐसे ही मार्केट में सड़कों पर जाते रहेंगे तो कोरोना से बचे रहेंगे तो ये सोच नहीं है। ऐसा करके आप अपने और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। मेरा देशवासियों से आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो, तभी अपने घर से बाहर निकलें। चाहे काम आॅफिस, बिजनेस से जुड़ा हो, वह काम घर से ही करें। जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं, मीडियाकर्मी हैं, जनप्रतिनिधि हैं, उनकी सक्रियता तो आवश्यक है। लेकिन समाज के सभी लोगों को बाकी भीड़भाड़ से बाकी समारोहों से आइसोलेट करना चाहिए।
60-65 साल से ज्यादा आयु वाले कुछ हफ्ते आइसोेलेट रहें
एक और आग्रह है, परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन हैं जो 60-65 साल से ज्यादा आयु वाले हैं, वो आने वाले कुछ हफ्ते आइसोेलेट रहें और घर से बाहर न निकलें। हो सकता है कि वर्तमान पीढ़ी पुरानी सोच से वाकिफ नहीं होगी। जब मैं छोटा था, तब जब युद्ध की स्थिति थी तब गांव-गांव ब्लैकआउट होता था। शीशों पर भी कागज लगा दिए जाते थे। लाइटें बंद होती थीं। लोग रातभर चौकसी करते थे। युद्ध न हो, तब भी साल में एक-दो बार नगर पालिकाएं ब्लैकआउट का ड्रिल करवाती थीं। लोगों की आदत बनी रहें, इसके लिए प्रयास करती थीं। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। ये है- जनता कर्फ्यू। यानी जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू। इस रविवार यानी दो दिन के बाद 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है। इस जनता कर्फ्यू के दरमियान कोई भी नागरिक घरों से बाहर न निकले, न सड़क पर जाए, न सोसाइटी-मोहल्ले में इकट्?ठे हों। वे अपने घरों में ही रहें। आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को तो जाना ही होगा। लेकिन नागरिक के नाते हम ऐसा न करें। 22 मार्च को हमारा यह प्रयास हमारे आत्मसंयम और देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का मजबूत प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की सफलता और इसके अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे। मैं देश की सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वे जनता कर्फ्यू का पालन कराने का प्रयत्न करें।
देश में अब तक 171 लोग संक्रमित
देश में अभी तक कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 171 हो गई है। बुधवार को एक दिन में ही 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बुधवार को 28 नए मामले सामने आए। एक दिन में सामने आए संक्रमण के केसों की यह सबसे ज्यादा संख्या है। पश्चिम-बंगाल और पुडुचेरी में नए मामले सामने आए।
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