December 22, 2024

कोरोना पर आस्था भारी : कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगायी डुबकी, घाटों पर उमड़ा सैलाब

पटना। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बिहार में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा-गंडक के संगम समेत विभिन्न नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगायी। इस दौरान कोरोना पर आस्था भारी दिखी। ‘हर-हर गंगे, जय गंगा मैया’ के जयकारे से घाट गुंजायमान होता रहा। इस दौरान सरकार के नए गाइडलाईन्स की धज्जियां भी उड़ी। प्रशासन की ओर से कोरोना को लेकर किए अपील को नजर अंदाज कर श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा घाटों की ओर जाती दिखी। पटना जिला का कोई भी ऐसा गंगा घाट नहीं था, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने नहीं पहुंचे। सुबह से ही गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ उमड़ गई। पटना के अलावा बाढ़, फतुहा, वैशाली, सोनपुर, मुंगेर, भागलपुर, बिहारशरीफ और नालंदा में भी लोग पूजा करने गंगा घाट पर पहुंचे। सुरक्षित स्नान और जलाभिषेक के लिए प्रशासन यहां पूरी तरह मुस्तैद दिखी।
राजधानी पटना में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो दोपहर तक जारी रहा। सुबह होते ही श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे, जय गंगा मैया’ के जयकारे के साथ गंगा में डुबकी लगाने लगे। स्नान के बाद लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की और दान किया। मंदिरों में भी अन्य दिनों की अपेक्षा पूजा-अर्चना करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी गई। गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के जवान संयुक्त रूप से नौकाओं से लगातार गंगा नदी में गश्त लगा रहे थे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जहां पुलिस जवान चौकस दिखे, वहीं सड़कों पर यातायात को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान मुस्तैद रहे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और भगवान हरि एवं शिव की पूजा करने से पूर्वजन्म के साथ इस जन्म के भी सारे पाप नाश हो जाते हैं। साथ ही गंगा या अन्य नदियों में स्नान से सालभर के गंगा स्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है। भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सोनपुर में गंगा-गंडक के संगम पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था। गज की करुणामई पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने ग्राह का संहार कर भक्त की रक्षा की थी। इस दिन घर में दीपक जलाने से पुण्य मिलता है और जीवन में ऊर्जा का संचार भी होता है। लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

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