कार्य-जीवन संतुलन के मामले में पुरुषों से बेहतर हैं महिलाएं: सर्वे
पटना। कार्य-जीवन के संतुलन की दृष्टि से सात में से पांच (76 प्रतिशत) पुरुष प्रोफेशनल्स अपने तरीके से जीवन नहीं जी पाते हैं, जबकि सात में से तीन (54 प्रतिशत) महिला प्रोफेशनल्स का अनुभव भी इसी तरह का है। गोदरेज इंटेरियो के मेक स्पेस फॉर लाइफ सर्वेक्षण के नवीनतम निष्कर्षों से यह खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीयों का दावा है कि कार्य दबाव, तकनीक एवं दिनचर्या जैसे कारणों से उन्हें अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने शौक पूरा कर पाने के लिए कम समय व मौका मिल पाता है। हाल के वर्षों में ज्यादातर पुरुष दोहरी भूमिकाएं निभाने लगे हैं पहली- छोटे बच्चों की प्राथमिक देखभाल की और दूसरी- परिवार चलाने की। सर्वेक्षण के मुताबिक, फादर्स ने स्वीकार किया कि वो अपने बच्चों की देखभाल करने और घर-गृहस्थी में हाथ बंटाने में अधिक समय देते हैं। साथ ही, यह पता चला कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक कुशलतापूर्वक अपने कार्य-जीवन के संतुलन को बनाये रखा।
गोदरेज इंटेरियो के मुख्य परिचालन अधिकारी, अनिल एस माथुर ने सर्वेक्षण के बारे में बताते हुए कहा, दिलचस्प बात यह है कि कंपनियों में पुरुषों व महिलाओं दोनों के लिए एकसमान एचआर नीतियां होने के बावजूद पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपेक्षतया अधिक स्वस्थ तरीके से कार्य-जीवन संतुलन को बनाये रखती हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, कार्य दबाव, तकनीक एवं दिनचर्या के चलते महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अपने लिए, अपने परिवार के लिए और अपने शौक पूरा करने के लिए कम समय व अवसर मिल पाता है।
चिंताजनक स्थिति यह है कि इस अध्ययन के मुताबिक, 69 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि काम के दबाव के चलते वो अपने परिवार को भरपूर समय नहीं दे पाते हैं, जबकि ऐसा मानने वाली महिलाएं 54 प्रतिशत हैं। एक-तिहाई पुरुषों (31 प्रतिशत) पुरुषों का दावा है कि जीवन की पेशेवर व्यस्तता के चलते उन्हें अपने शौक पूरा करने का समय नहीं निकल पाता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला कि कुल 64 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं को लगता है कि वो कार्य दबाव के चलते अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं, जबकि 68.2 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं का सोचना है कि वो कार्य-जीवन संतुलन को बनाये रखने की कोशिश में अपने सपनों के अनुसार जिंदगी नहीं जी पाते हैं और 56.7 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने अपने कार्य-जीवन संतुलन को भयानक बताया। इस सर्वेक्षण में 13 शहरों चंडीगढ़, मुंबई, जयपुर, पटना, कोयम्बटूर, पुणे, लखनऊ, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरू व अहमदाबाद में रहने वाले 1300 भारतीयों ने हिस्सा लिया।