कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को, सर्वार्थ सिद्धि योग में बरसेगी श्रीहरि व लक्ष्मी की कृपा
पटना। सनातन धर्मावलंबी के सबसे पुण्यकारी मास का पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा है। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा रोहिणी नक्षत्र और शिव योग के साथ अत्यंत पुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में मनायी जाएगी। भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है। काशी में देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान-धर्म का विधान है। श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद श्री सत्यनारायण की कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करके पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा पाते हैं।
बरसेगी श्रीहरि व लक्ष्मी की कृपा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की अपार कृपा बरसती है। सर्वार्थ सिद्धि योग में गंगा स्नान से शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा। इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में लिए थे। इस दिन श्रीकेशव के निकट अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है, साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति का लाभ भी मिलता है। गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन अन्न, धन, वस्त्र, घी आदि दान करने से कई गुना फल मिलता है।
गंगा स्नान से मिलता है पूरे वर्ष का फल
ज्योतिषी झा के अनुसार, इस माह की त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों ने अति पुष्करिणी कहा है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। घर पर स्नान करने वाले जातक पानी में गंगाजल और हाथ में कुश लेकर स्नान करें, उससे भी गंगा स्नान का ही फल मिलता है। इस पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप-दान, हवन, जाप आदि करने से सांसारिक पाप और ताप दोनों का नाश होता है।
विष्णु पूजन से पापों से होगी मुक्ति
आचार्य रुपेश पाठक के मुताबिक कार्तिक महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना गया है। इसी कारण इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा है। नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संपूर्ण सद्गुणों की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय पाने के लिए कार्तिकेय जी के दर्शन करने का विधान है। पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।
दीपदान से दस यज्ञों के समान मिलेगा पुण्य
पंडित गजाधर झा ने कहा कि कार्तिक मास में दीप दान किसी नदी में, किसी मंदिर, पीपल, चौराहा, किसी दुर्गम स्थान आदि में करना चाहिए। भगवान विष्णु को ध्यान में रखकर किसी स्थान पर दीप जलाना ही दीपदान कहलाता है। दीप दान का आशय अंधकार मिटाकर उजाले के आगमन से है। मंदिरों में दीप दान अधिक किए जाते हैं। इस दिन दीप दान का विशेष पुण्य फल है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था, इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है।
कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
ज्योतिर्विद राकेश झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार, सोमवार (30 नवंबर) को पूर्णिमा रात्रि 02:38 बजे तक है। वहीं बनारसी पंचांग के अनुसार, सोमवार की दोपहर 02:26 बजे तक पूर्णिमा है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:17 बजे से 11:59 बजे तक है। वहीं गुली काल मुहूर्त दोपहर 12:58 बजे से 02:18 बजे तक है। पंडित झा ने कहा कि उद्यातिथि के मान से पूरे दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहेगा और पूरे दिन गंगा स्नान और विष्णु पूजन होंगे।