RSS का साफ निर्देश : BJP विधायक अपने निजी कर्मियों की नियुक्ति में रिश्तेदारों को न दें जगह
पटना। बिहार चुनाव में सेकंड बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा अब नये तेवर में है। पार्टी ने पुराने धुरंधरों को गौन कर दिया है, वहीं नए-नवेलों को संभलकर काम करने की हिदायत दी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय की तरफ से विधायकों के लिए जारी निर्देश में साफ-साफ कह दिया गया है कि अपने निजी कर्मियों की नियुक्ति में रिश्तेदारों को जगह न दें।
दरअसल, संघ को केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर विधायकों तक से जुड़ी ऐसी शिकायतें लगातार मिल रही थी कि विधायक और सांसद जीतने के बाद निजी कर्मियों के तौर पर कार्यकर्ताओं को जगह न देकर अपने रिश्तेदारों को रख रहे हैं। इस व्यवहार से कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। यही वजह है कि इस बार भाजपा ने अपने विधायकों को पहली ही बैठक में साफ तौर से यह निर्देश दे दिया है।
बताते चलें कि निजी कर्मियों की बहाली के लिए सरकार की तरफ से विधायकों को 30 हजार रुपए प्रति महीना दिया जाता है। विधायकों को अपने कर्मी खुद चुनने की छूट दी जाती है। इस राशि से विधायक अपने लिए निजी सहायक या सचिव रख सकते हैं। ज्यादातर विधायक निजी कर्मी के तौर पर सहायक यानि पीए रखते हैं, जो उनके रोजाना के कार्यक्रम से लेकर व्यस्तताओं का पूरा ब्यौरा रखते हैं। आमतौर पर ये देखा गया है कि विधायक इस पद पर अपने रिश्तेदारों को नियुक्त करते हैं, जिसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जाती है।