अब एक और अधिकारी जांच के जद में : अपराधियों की मदद करने के आरोप में विभागीय जांच के आदेश
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पटना। पुलिस की खाकी वर्दी पहनकर अपराधियों को फायदा पहुंचाने वाले अधिकारियों की शामत आ गई है। बिहार सरकार ऐसे अधिकारियों पर लगातार शिकंजा कस रही है। अब एक और अधिकारी जांच के जद में आ गए हैं। मंगलवार की शाम गृह विभाग की तरफ से जारी आदेश के तहत बेगूसराय के पूर्व एसडीपीओ राजेश कुमार के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। राजेश कुमार वर्तमान में एएसपी हैं और इनकी पोस्टिंग पटना में सीआईडी में है। इनके ऊपर गंभीर आरोप हैं। इन पर लगे आरोपों की जांच की जिम्मेवारी सरकार ने होमगार्ड के डीआईजी पंकज कुमार को सौंपी है। वहीं राजेश कुमार को 10 दिनों के अंदर डीआईजी के सामने पेश होने को कहा गया है।
बताते चलें कि बीते सोमवार को भी एक साथ दो डीएसपी पर सरकार ने कार्रवाई की थी। एक डीएसपी के तीन बार के वेतन वृद्धि पर रोक लगा दिया था तो दूसरे डीएसपी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए थे।
आदेश को नजरअंदाज करना पड़ा भारी
मामला 2016 का है। उस वक्त राजेश कुमार बेगूसराय सदर के एएसपी थे। रंगदारी और हत्या के इस केस आईपीसी की धारा 302, 307, 34 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत टाउन थाना में दर्ज एफआईआर नंबर 53/16 में हीरा चौधरी, नवीन चौधरी और बौआ चौधरी मुख्य आरोपी थी। मामला बेहद गंभीर था। इस मामले में एसपी की तरफ से राजेश कुमार को गहन छानबीन करने को कहा गया था, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। 9 अप्रैल 2016 को एसपी ने फिर से 10 दिनों के अंदर इसकी जांच रिपोर्ट देने को कहा, मगर उस आदेश को भी नजर अंदाज कर गए। 23 सितंबर 2016 को एसपी ने आरोपियों के मोबाइल टावर लोकेशन सहित कई अहम जानकारी जांच कर मांगी, पर यह भी उन्हें नहीं मिला। जब एसपी थक गए तो फिर भागलपुर के आईजी ने 2017 में दो बार और 2018 में एक बार आदेश जारी कर इस केस का प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगा, लेकिन इनके आदेश को भी नजर अंदाज किया गया। जिसके बाद बिहार सरकार ने इस मामले को अब बेहद गंभीरता से लिया है।
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